लेखनी कविता -02-Aug-2024
शीर्षक -जीवन... जिंदगी
जीवन और जिंदगी अलग होती हैं। जीवन हम सभी अपने लिए जीते हैं। जिंदगी हम दूसरों के लिए सोचते हैं। सच तो न जीवन हमारा होता है। बस हम सभी अपनी सोच रखते हैं। हम सभी अपने अपने स्वार्थ रखते हैं। बस जीवन और जिंदगी सोचते रहते हैं। तेरे मेरे सपने बस जीवन में रहते हैं। जिंदगी तो हम सभी मन भावों जीते हैं। हां सभी जीवन और जिंदगी समझते हैं। जिंदगी में सच हमारे एहसास भी होते हैं। जीवन और जिंदगी हम सभी जीते हैं। सच और सोच हमारी अपनी जिंदगी होती हैं। जीवन और जिंदगी ही तो बस शब्दों रहतीं हैं।
नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र